by admin on | 2025-01-02 13:20:53 Last Updated by admin on2025-06-21 19:27:55
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रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पूरे प्रदेश के धान भंडारों में किसान सीमा से ज्यादा धान जाम हो गया है। कारण धान लगभग बंद होने की स्थिति में है। बालोद जिले में स्थिति यह है कि 143 में से 134 संग्रहण भंडार में बोतल लिमिट से अधिक धन जाम हो गया है, लगभग 94 प्रतिशत तो क्षेत्र में बालिका सीमा से अधिक धान का स्टॉक जमा हो गया है। बीजापुर जिले में अब तक कुल संख्या का 90 प्रतिशत धान सोसाइटियों और संग्रहण संग्रह में ही जाम है। ट्रांसपोर्ट और मिलिंग के अभाव में सोसाइटी आगे की तरफ से हाथ खड़े कर रहे हैं। बारदाने की समस्या को लेकर गौरेला पेंड्रा मर्फी जिले के किसान मसाला जाम करने लगे हैं और यह सरकार का एकमात्र वादा करने में मस्त है।
प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार की किसान विरोधी सोच और दुर्भावना पूरे प्रदेश में किसान खोखली हैं। 3100 रु. किसी भी किसान को मुफ्त पैसा नहीं मिला, 21 सामान्य प्रति भिक्षु का दावा भी सोलो निकला अधिकांश राज्य में 20 सामान्य 40 प्रति भिक्षु के दर से ही हुआ है कई स्थान फर्जी अनावारी रिपोर्ट के आधार पर भी शेयर कर दिया गया। हर ग्राम पंचायत में काउंटर काउंटर का भुगतान के लिए मोदी का वादा भी जुमला निकला। सरकार की अनदेखी और अकर्मण्यता के जीवित समाज की माली हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है। एफडी में जाम धान के सुखत के कारण सोसाइटियों को भारी नुकसान होता है। इसी तरह के सरकार के गठन के पिछले साल के सीजन में 26 लाख का निजी धान खराब हुआ था, जिससे कंपनी सोसाइटियों को 1037 करोड़ का नुकसान हुआ था, इसी तरह की सरकार ने आज तक सोसाइटियों को नहीं बनाया है।
प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि 14 नवंबर से धान की आपूर्ति शुरू हो गई है, आज तक एक महीने से अधिक समय में लगभग 90 लाख टन धान ही सरकारी खरीद पाई से अधिकांश धान परिवहन के भाव में डूबा है। में पढ़े हैं। इस महीने में लगभग 20 दिन की छुट्टी ही शेष है, अब तक का औसत लगभग लगभग एक लाख टन प्रतिदिन ही है, इस अनुपात में अगर सरकार 20 दिन और बाकी रखती है तो लक्ष्य तक संभव नहीं है। किसान विरोधी भाजपा सरकार के दुर्भावना के चलते धान की लोकप्रियता को खत्म कर दिया गया है। किसानों को बारदाने और टोकन के लिए बार-बार लौटाया जा रहा है, भाजपा सरकार की नियति किसानों का पूरा धान खरीदी का नहीं है, इसके पीछे केंद्र सरकार की भी साजिश है। जब तक केंद्र में किसानों से धान और चावल पर प्रतिबंध लगाने का कोई नियम नहीं था, तब तक भाजपा सरकार ने किसानों से धान और चावल पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई थी। तौल में गड़बड़ी, बारदाने के वजन में गड़बड़ी, बारदाने की प्रक्रिया में गड़बड़ी, बारदाने की कमी, उठाव और मिलिंग इन सब के पीछे सरकार की दुर्भावना है। इस सरकार में किसान, सहयोगी समाज, भिखारी, मिलर सभी पीड़ित और प्रभावित हैं। भाजपा सरकार की व्यवस्था किसानों से पूरा धान बकाया नहीं है।